ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इन देवताओं की पूजा की जाती है: भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान भोलेनाथ| 

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं: 

पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करें

पितृ पक्ष के दौरान भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठकर मंत्र का जाप करें

सावन माह में भगवान शिव शंकर की पूजा करें

पितृ पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ और शिवलिंग पर नियमित जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं

पितरों का स्मरण करें

प्रत्येक अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को एक समय के भोजन की सामग्री और कुछ धन दान करें

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ये मंत्र जाप किए जा सकते हैं: 

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात

ॐ श्री पितराय नम:

ॐ श्री पितृदेवाय नमः

ॐ श्री पितृभ्य: नम:

ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः


देव पितर मनुष्य और अन्य जीवों के कर्मों के अनुसार उनका न्याय करते हैं. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि वह पितरों में अर्यमा नामक पितर हैं. पितरों की पूजा करने से भगवान विष्णु की ही पूजा होती है. 

पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद महीने के पितृपक्ष में उनको तर्पण दिया जाता है. पितरों की स्तुति रुपी इस 'पितृस्तोत्र' का पाठ करने पितृदोष से मुक्ति मिलती है. 

पितरों के देव अर्यमा हैं. ये महर्षि कश्यप की पत्नी देवमाता अदिति के पुत्र हैं और इंद्रादि देवताओं के भाई. पुराण अनुसार उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र इनका निवास लोक है. 

पितरों का आहार अन्न-जल का सारतत्व है. वे अन्न व जल का सारतत्व ही ग्रहण करते हैं. शेष जो स्थूल वस्तु है, वह यहीं रह जाती है. 


पितरों और पूर्वजों के नाराज होने से आपके जीवन में कई तरह की समस्या आ सकती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में कौनसे कार्य करना वर्जित माना जाता है। पितृ पक्ष में शराब, मांसाहार, पान, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, आदि वर्जित माना गया है


अगर आपको अचानक से धन हानि हो रही है, तो यह भी पितरों की नाराजगी का संकेत होता है। माना जाता है कि पितरों के नाराज होने पर संतान सुख में बाधा आती है। अगर संतान हो भी जाती है, तो वह आपके विरोध में ही रहती है। अगर आपके परिवार में हमेशा कोई न कोई बीमार पड़ रहा है तो यह भी पितरों की नाराजगी का संकेत हो सकता है।


हिंदू धर्म के अनुसार, घर के मुखिया या प्रथम पुरुष अपने पितरों का श्राद्ध कर सकता है। अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है। इसके अलावा पुत्र और नाती भी तर्पण कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार, पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए।


जन्म लेने वाला बच्चा मंदबुद्धि, विकलांग आदि होता है या बच्चा पैदा होते ही मर जाता है। अगर घर में रहने वाले लोगों के बीच किसी न किसी बात पर बहस होती रहती है तो इसका कारण पितृ दोष हो सकता है। घर में मौजूद किसी सदस्य का बीमार होना। पितृदोष के कारण व्यक्ति को दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है।


पितरों को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं: 

हनुमान चालीसा का पाठ करना

श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध कर्म करना

गरीब, अपंग व विधवा महिला को दान देना

गीता का 7वां अध्याय या मार्कण्डेय पुराणांतर्गत 'पितृ स्तुति' करना

तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप देना

पितरों की मृत्यु की तिथि के दिन दान-पुण्य करना

गरीबों को भोजन कराना और किसी जरूरतमंद को कपड़ों का दान करना

पितरों को प्रणाम करना और उन्हें फूलों की माला चढ़ाना

पितरों की शांति के लिए ये उपाय भी किए जा सकते हैं: 

पिंड दान

विष्णु मन्त्रों का जाप

सर्प पूजा

ब्राह्मण को गौ-दान सहित कन्या -दान

कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना

मंदिर परिसर में पीपल, लगवाना

श्रीमद्द्भागवत कथा का पाठ करवाना

हिंदू धर्म में पितरों को देवता स्वरुप माना गया है. पितृ पक्ष में पूरी श्रद्धा के साथ श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वो अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. लेकिन पितृ पक्ष के अलावा भी पितरों को याद करना और उन्हें पूरा सम्मान देना आश्यक है. क्यों कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन घरों में देवता समान पितरों को पूजा जाता है उनके घर में सुख समृद्धि और शान्ति बनी रहती है. परन्तु पितरों की नाराजगी को अशुभ माना गया है. पितरों के नाराज होने से घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता है. परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है. घर में अशांति का वातावरण बना रहता है. तो आइए जानते हैं वो कौनसे संकेत हैं जिनसे पता चलता है कि पितर देव नाराज चल रहे हैं.