शारदीय नवरात्रि को शक्ति की उपासना का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान लोग आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति इकट्ठी करने के लिए कई प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना करते हैं.
शारदीय नवरात्रि की महिमा अनंत है. इस दौरान:
मां दुर्गा की पूजा की जाती है, जो हिन्दू धर्म में शक्ति की प्रतीक हैं.
व्रत और पूजा-पाठ से भक्त अपने मन को पवित्र बनाते हैं.
श्रद्धापूर्वक देवी के उत्तम चरित्र को श्रवण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
लोग चक्रों को जागृत करने की साधना करते हैं.
शारदीय नवरात्रि को सिद्धि और साधना के नजरिये से ज़्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. इस दौरान लोग:
यज्ञ करते हैं.
भजन गाते हैं.
योग-साधना करते हैं.
शक्ति के 51 पीठों पर देवी की उपासना करते हैं.
शारदीय नवरात्रि को सबसे पहले भगवान श्रीराम ने आरंभ किया था.
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इन नौ रूपों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि नौ रूपों की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है.
मां दुर्गा के नौ रूप ये हैं:
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री|
इन नौ रूपों को पापों की विनाशिनी कहा जाता है. हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं. ये सब एक हैं और सभी परम भगवती दुर्गा जी से ही प्रकट होती हैं.
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन, हवन, पाठ और जाप भी करते हैं.
शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि इस प्रकार है:
वेदी में जौ और गेहूं मिलाकर बोएं.
वेदी पर या पास के पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन करें.
सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें.
कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर सूत्र बांधें.
कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें.
पूजा स्थान और मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें.
मां को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प अर्पित करें.
प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
मां की आरती करें.
मां को भोग लगाएं.
नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना के लिए इन चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है:
शंख, सिंदूर, रोली, मौली, कपूर, धूप, लाल पुष्प या पुष्पहार, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ पटरा, आसन,
