जीवन मे करुणा क्यों होना जरूरी है
करुणा हमें दूसरों से जुड़ने, रिश्तों को सुधारने और भावनात्मक बुद्धिमत्ता और कल्याण को बढ़ावा देते हुए आगे बढ़ने में मदद करती है। करुणा सहानुभूति को एक कदम आगे ले जाती है क्योंकि यह सभी लोगों को पीड़ा से मुक्त करने की इच्छा रखती है, और यह मदद करने की इच्छा से ओत-प्रोत है।
जब किसी मनुष्य को किसी दूसरे मनुष्य,पशु, पक्षी ,जानवर आदि की दयनीय अवस्था को देखकर व्यक्ति का हृदय द्रवित हो जाता है अर्थात उस में दया की भावना भर उठती है तथा व्यक्ति उस परेशानी में पड़े हुए व्यक्ति की सहायता करना चाहता है तब उसे उस व्यक्ति की करुणा कहा जाता हैं।
दयालुता के कार्य दुनिया को हर किसी के लिए एक खुशहाल जगह बना सकते हैं । वे आत्मविश्वास, नियंत्रण में रहने, खुशी और आशावाद की भावनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं। वे दूसरों को भी उन अच्छे कार्यों को दोहराने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जो उन्होंने स्वयं अनुभव किए हैं - एक अधिक सकारात्मक समुदाय में योगदान करते हुए।
सार्थक अंतःक्रियाओं को चलाने की क्षमता के कारण करुणा स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार लाती है, यह हमें दयालु होने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमें दूसरों को देखने की अनुमति देता है और हम उनकी कैसे मदद कर सकते हैं या उनके लिए जगह कैसे बना सकते हैं
करुणा हमेशा प्रेम से उत्पन्न होती है और स्वार्थ बिल्क़ुल भी नहीं होता. दया ज्यादातर तरस की वजह से ही आती है दया दिखाते समय हमारे अंदर थोड़ा बहुत स्वार्थ छिपा हो सकता है और शायद जिसका हमें स्वयं भी आभास न हो.
मानव जिसका अंश रूप है, वो ईश्वर खुद बहुत दयालू है, हाँ राक्षसों में करुणा का अभाव प्रायः पाया गया है
