कर्म फल क्या है


 कर्मफल का मतलब है कि हम जैसा कर्म करते हैं, वैसा ही फल हमें मिलता है. अगर हम अच्छे कर्म करते हैं, तो हमें अच्छा फल मिलता है और अगर हम बुरे कर्म करते हैं, तो हमें बुरा फल मिलता है. 

कर्मफल, परिस्थिति और दैवीय शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर अच्छे कर्म बुरे कर्म की तुलना में ज़्यादा हैं, तो बुरे कर्मों का फल इसी जन्म में और अच्छे कर्मों का फल अगले जन्म में मिलना तय होता है



कर्मफल, हर पल हमें मिलता रहता है. सांस ले पाना भी हमारे कर्मों का ही परिणाम है. कर्म हमारी काया है और उसका फल हमारी परछाई. दोनों हमेशा साथ-साथ रहते हैं. 

कर्म करने से एक तो तात्कालिक फल (सुख) मिलता है और दूसरा परिणाम में फल मिलता है. इन दोनों ही फलों की इच्छा का त्याग करना होता है. कर्ता के सर्वथा निष्काम होने पर कर्मफल की इच्छा का त्याग हो जाता है. 

कर्म तीन प्रकार के होते हैं: आगामी कर्म, संचित कर्म, प्रारब्ध कर्म| 

धर्मग्रंथों के मुताबिक, मनुष्य को किए हुए शुभ या अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है. अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन को प्रगति की दिशा में ले जाते हैं, वहीं बुरे कर्म उसे पतन की ओर ले जाते हैं