ईश्वर का भरोसा


 ।। श्रीहरिः ।।


जीवन का भरोसा नहीं है, जीवन तो समाप्त होगा ही, चाहे विषयों के सँग में बीते अथवा भगवान के सँग में भगवान की ओर जितना बढ़ेंगे, उतनी शान्ति बढ़ेगी। । आज तक जितने सन्त हुए हैं, वे सब-के-सब यही कह गए हैं।


कलियुग प्रभाव जैसे-जैसे बढ़ेगा, वैसे-वैसे भगवान में विश्वास करने वालों की संख्या कम होती जाएगी। भगवद्- विश्वासी पुरुष मूर्ख समझे जायँगे। उन लोगों की सत्यमूलक चेष्ठाओं का आदर तो दूर रहा, वरं निन्दा होगी। इसलिए 'जगत के लोग मुझे क्या कहेंगे--इस बात की ओर से दृष्टि कम कर लेनी चाहिए। यदि हमें कोई बात सत्य दीखे और उसका ही आचरण भगवदिच्छानुकूल प्रतीत हो तो वैसे ही करना चाहिए, अपनी नीयत में जो चेष्टा प्रभु को प्रसन्न करने वाली जँचे, उसका समर्थन सर्वसाधारण के द्वारा न होने पर भी अवश्य करना चाहिये।