विनम्रता, दयालुता, ईमानदारी, सत्यता, निर्मलता, सहायता, सहयोग ये सब ईश्वरीय गुण हैं, और अगर आपने खुद में ये गुण विकसित कर लिए, मानो आपने ईश्वर की सच्ची पूजा कर ली, और आप कितनी भी पूजा कर लें, अगर आप में ये गुण नहीं आये, तो कहीं न कहीं आपने पूजा नहीं, ढोंग किया, और ईश्वर भाव देखता है, ढोंग नहीं, खुद ईश्वर कहते हैं, निर्मल मन जन सोइ मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा
