जीवन मे आपके सुख दुःख का दोष किसको
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता।।"
'कोई किसीको सुख-दुःखका देनेवाला नहीं है। सब अपने ही किये हुए कर्मोंका फल भोगते हैं।'
तात्पर्य है की आपके जीवन में जो सुख दुःख हैं, वो सब आपके कर्मो का ही परिणाम हैं, इस जन्म के और पूर्व जन्म के, और आपके कर्म आपको भुगतने ही होंगे, आपके कर्मो को आपके, आपके परिवार के अलावा कोई नही भुगतेगा,
बहुत से लोग सोचते है, की बुरे कर्म करके उसका कुछ भाग दान पुण्य मे लगाकर बुरे कर्म कट जायेंगे, बिल्कुल नहीं, बुरे कर्म कभी नहीं कटते, उनका परिणाम भुगतना ही पड़ता है, जितने बुरे कर्म उतना बुरा परिणाम,
और ये भी नहीं है, की आज बुरे कर्म किये, उसका तुरंत बुरा परिणाम भुगतान करना पड़ता है, भुगतान आपके कर्मो की क्षमता पर निर्भर करता है,
बुरे कर्म कटेगे कैसे, केवल नाम जप से, कोई बहुत बुरा आदमी है, उसने जीवन भर बुरे कर्म ही किये है, तो वो पहले नाम जप की तरफ कदम ही नहीं बढ़ायेगा, अगर किसी कारण बस उसके कदम उस तरफ बढ़ भी गए, तो नाम जप करने की दिशा मे लाखों बाधाये आयेगी, क्युंकि पाप कर्म की प्रवृत्ति इतनी हावी हो जाती है, की वो बार बार अपनी तरफ ही खीचती है, वैसे ही जैसे कोई गलत नशे का नशे बाज जो बहुत दिनों से गलत नशा कर रहा है, वो नशे को छोड़ने की भरपूर कोशिश करता है, लेकिन नहीं छोड़ पाता है, कुछ दिन छोड़ने के बाद वो नशा उसपर हावी होने लगता है, और वो फिर नशा करने लगता है,
लेकिन जब कोई दृढ़ संकल्पित हो जाता है, कोई अच्छा माध्यम मिल गया, की नहीं अब नशा छोड़ ही देना है, तो कुछ वर्षों मे वो छोड़ भी देता है,
वैसे ही आपके बुरे कर्म का नाश केवल नाम जप ही कर सकता है, और ईश्वर प्राप्ति भी करा देता है, लेकिन इसमें समय बहुत लगता है, वर्षो लग जाते हैं, और कोई उपाय भी नहीं है,
