नाम जप कौन कर सकता है, नाम किसका जपना उचित रहता है, नाम जप, सबसे बड़ा आकर्षण मंत्र
नाम जप हर कोई कर सकता है, हर धर्म का व्यक्ति कर सकता है, नाम जप की बड़ी महिमा है,
नाम किसका जपना चाहिए, वैसे तो नाम अपने इष्ट का ही जपना उचित होता है, लेकिन एक बड़ी गूढ़ बात जो बड़ी आश्चर्य मय है, बड़ी अदभुत है, वो ये, की आप नाम जप किसी का भी कर सकते हैं, पति पत्नी का नाम जप सकता है, पत्नी पति का नाम, पिता पुत्र का नाम, पुत्र पिता का नाम, किसी सगे संबधी का नाम,आप किसी का भी नाम जप सकते हैं,
कोई भी नाम आपको ईश्वर की ही प्राप्ति करा देगा,
ये काम कैसे करता है, कोई भी नाम आप जब जपना प्रारंभ करते हैं, तो जैसे ही नाम जप की संख्या लाख, दो लाख , 10 लाख पार हो जाती है, वो चमत्कार करने लगता है, आप जिसका नाम जप रहे हैं, उसके प्रति भयंकर आकर्षण पैदा कर देता है,
समझ सकते हैं, जैसे नदियाँ आपको अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नाम से दिखाई देती हैं, लेकिन अंत मे बहुत लम्बी दूरी तय करने के बाद जब वो सागर में मिलती हैं, तो फिर सभी नदियाँ सागर ही हो जाती है, नाम नदी है, नाम जप नदी द्वारा तय की गई दूरी है, और ईश्वर सागर है, सागर तक पहुँचने के लिए नदी को नाम जप रूपी दूरी तय करनी ही होगी, और जिसने सारे व्यवधानो से निपटते हुए पूरी दूरी तय कर ली, उसको सागर से मिलने से कोई नहीं रोक सकता,
अब ईश्वर के नाम जप को, कोई भी ईश्वरीय नाम हो, जपने के लिए प्राथमिकता क्यों दी जाती है, इसलिए क्योंकि नाम जप से बड़ा आकर्षण पैदा हो जाता है, और जब ईश्वर का नाम जपते है, तो आकर्षण ईश्वर के प्रति पैदा हो, इसलिए ईश्वरीय नाम जप को प्राथमिकता दी जाती है,
मान लिया आप किसी व्यक्ति विशेष का नाम जपना शुरु कर देते हैं, , तो जब नाम जप की अधिकता हो जायेगी, तो वो ईश्वर को ही समर्पित हो जायेगा, लेकिन साथ मे आपका उस व्यक्ति के प्रति और उस व्यक्ति का आपके प्रति भी आकर्षण पैदा कर देगा, इससे आपके लिए परेशानी हो जायेगी, इसलिए नाम जप किसी ईश्वरीय नाम को मन मे सोचकर ही जपना शुरु करना चाहिए, ना की किसी व्यक्ति का नाम
