एक बात कहूं, बुरा मत मानना
भगवान के निर्मल, छोटे वीआईपी, बड़े वीआईपी भक्तों, आप में से जो भी गुरुर में भरे हुए भगवान के मंदिर में, कीर्तन में,
सत्संग में, भगवान के निर्मल भक्तों से इतर अलग होकर भगवान से मिलने की कोशिश करते हो, कभी भगवान को महसूस भी कर पाते हो, अरे भगवान तो निर्मल है, उसकी तो असीम सत्ता है, वो खुद ही वीआईपी नहीं है, तो फिर वो वीआईपी से क्यों मिलेगा, रहो तुम 'अपने मद में चूर, वो तो किसी अपने फक्कड़ भक्त के पास बैठा मस्ती करता मिलेगा, किसी शबरी के यहां झूठे बेर खाता मिलेगा, किसी विदुर के यहां साग खाता मिलेगा, उसको दुर्योधन के पकवानों की जरूरत ही नहीं, सारे संसार को पार कराने वाला, वो तो निर्मल मन केवट की नाव से नदी पार करने की विनती करता मिलेगा, वो तो निर्मल हृदय प्रह्लाद के लिए खुद कोड़े के वार सहता मिलेगा, वो सर्व शक्तिमान है, दुनिया को अपनी एक उंगली पर नचाने वाला, वो निर्मल भक्तों के बीच मिलेगा, कही अलग नहीं
जय हो मेरे भगवन
