नाम जप करो, और भगवान् को परखो
विज्ञान कहता है की हम उसको ही मानते है, जिसको जाँचते हैं, वैसे आध्यात्म विज्ञान से बहुत ऊपर है, लेकिन वर्तमान युग में आप साबित कैसे करोगे, इसलिए पहले खुद ही प्रयोग कर लो, क्यों की ईश्वर नाम जपना बहुत अच्छा है, और अगर आपने उसकी महिमा परख ली, तो आप समाज मे नाम का डंका बजा दोगे,
करना क्या है, पहले तो कम से कम 3 से 4 साल लगातार नाम जप करना है, जैसे साँस चलती है, वैसे नाम जप करना है, हर समय, सोते जागते, 1 साल के लगातार प्रयास से आपकी आदत हो जायेगी, अब इसको लगातार करते ही रहना है, लगभग लगभग जब 4 से 5 साल हो जाये, लगातार नाम जप करते करते, तब आपको एक दिन निश्चय करना है, की आप जो भी कार्य करते हों, उसको ईमान दारी से करते हुए सब कुछ अच्छा बुरा भगवान् पर छोड़ देना है, और फिर ईश्वर की लीला और नाम जप के प्रभाव का अवलोकन करना है, लगातार एक साल तक, आप देख कर आश्चर्य चकित हो जाओगे, आश्चर्य चकित कैसे, आपके साथ नाम जप के प्रभाव से जो जो अच्छा होने लगेगा, वो तो आपको दिखेगा ही, सबको दिखेगा, सबसे बड़ी बात वो होगी, जो आपको परेशांन करने की जुगत कर रहा था, वो तबाह हो जायेगा, उसके समझ में भी नहीं आयेगा,की उसके साथ हो क्या रहा है, वो फिर कोई भी क्यों न हो, और आपको जो परेशांन कर रहा है, आपको उससे भिड़ना भी नहीं हैं,
नाम जप से बना औरा आपकी रक्षा करेगा, और आपको परेशांन करने वाले का विनाश,
वैसे ईश्वर को परखना तो नहीं चाहिए, लेकिन ईश्वर अपने सच्चे साधक के लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाता है, क्यों की जब साधक ने सब कुछ ईश्वर पर ही छोड़ दिया है, तो अब तो साधक अपनी सोच से चल ही नहीं रहा, अब तो सोच ईश्वर की चल रही है, ईश्वर खुद ही अपनी परख अपने सच्चे भक्त के माध्यम से संसार को करवाता है,
जय हो नाम की, जय हो ईश्वर की, जय हो ईश्वर भक्त की,
एक बात जरूर ध्यान रखे, ईश्वर को समर्पित कर एक बार जब आपको परख हो जाये, फिर राह बदलनी नहीं हैं, उसके बाद आपको अपना कार्य, अपना व्यवसाय, अपनी नौकरी, जो भी कार्य आप जीवन यापन के लिए कर रहे हैं, ईमान दारी से करते हुए, नाम जप के साथ हमेशा करना है, आगे का ईश्वर सब देख लेगा, आपके जीवन मे चमत्कार पर चमत्कार होते जायेंगे, नाम जप आपके जन्म जन्मान्तर के पाप काट देगा, आपको बिना मांगे सब कुछ मिलने लगेगा, और आपके बिना किये आपके शत्रुओ का विनाश होने लगेगा,
ईश्वर पर सब कुछ छोड़ दिया जाये, ये पढ़ने में अच्छा लग सकता है, लेकिन ये सब करना कठिन है, असंभब नहीं है, लंबे समय तक नाम जप से ही ये संभब हो पाता है, लेकिन जिसकी ज़िंदगी में ये भाव आ गया, की मेरी कोई सत्ता नहीं, मै तो केवल माध्यम हूँ, जो कुछ भी करवा रहा है, कर रहा है, ईश्वर ही कर रहा है, फिर उसके जीवन के अच्छे बुरे की, मान अपमान की, सब जिम्मेदारी ईश्वर की हो जाती है
