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भगवान भक्त की रक्षा के लिये सदैव खड़े रहते हैं
मनुष्य अगर भगवान के स्वरूप को हृदय में उतार ले, तो उसे प्रभु की भक्ति सहज ही मिल जाती है। भगवान भक्त की रक्षा के लिये सदैव खड़े रहते हैं। सच्चे मन से निष्ठापूर्वक यदि भक्त उन्हें याद करते हैं, तो वह नंगे पैर ही दौड़े-दौड़े क्षण भर में उसके पास पहुंच जाते हैं।