बाहरी सुंदरता वक्त के साथ-साथ मिट जाती है, मगर हम अपने मन की सुंदरता को बढ़ा सकते हैं और हमेशा के लिए बरकरार रख सकते हैं।
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अकसर इंसान बाहरी खूबसूरती को ज़रूरत से ज़्यादा अहमियत देता है, और भीतरी गुणों को नज़रअंदाज़ कर देता है। मगर क्या इंसान को आँकने का यह तरीका सही है? जी नहीं, क्योंकि परमेश्वर की नज़र में हमारा बाहरी रूप नहीं, बल्कि हमारे गुण ज़्यादा अहमियत रखते हैं। मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु ईश्वर की दृष्टि मन पर रहती है,
परमेश्वर के गुणों को अपनी ज़िंदगी में दिखाना ही सच्ची खूबसूरती है, और यह बाहरी सुंदरता से ज़्यादा अहमियत रखता है।
हो सकता है एक इंसान दिखने में बहुत ही सुंदर हो, लेकिन अगर उसके मन में हर तरह की गंदगी और बुराई भरी हो, तो वह ईश्वर की नज़रों में बिलकुल बदसूरत होगा।
बाहरी सुंदरता वक्त के साथ-साथ मिट जाती है, मगर हम अपने मन की सुंदरता को बढ़ा सकते हैं और हमेशा के लिए बरकरार रख सकते हैं।
इसलिए हमें अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर के इन गुणों को दिखाना चाहिए, जैसे प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम, ऐसा करने से हम सच्ची सुंदरता पा सकेंगे जो कभी नहीं मिटती।
