सबसे बड़ा कंफ्यूजन, भगवान् की मूर्ति के दर्शन मात्र से भगवान् मिल जाते हैं, संपूर्ण पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़िये


 भगवान् के मन्दिर जाने से, इस भगवान् के दर्शन मात्र से, उस भगवान् के दर्शन मात्र से, सब पाप कट जाते हैं, सीधा स्वर्ग लोक मिल जाता है, सीधा भगवान् मिल जाते हैं, इसका मतलब क्या है, क्या ये बात सही है, या इसका मतलब गलत निकाल लिया गया है, बात कुछ और कही गई है, और समझ कुछ दूसरे रूप में ली गई है, 

तो फिर सच क्या है, अब से, आगे से क्या करें, सच्चाई कैसे समझे, 

सच तो है, की भगवान् के दर्शन मिलने से बैकुंठ मिल जाता है, भगवान् के दर्शन मिलने से, भगवान् की मूर्ति के दर्शन करने से भगवान् नहीं मिलते, भगवान् की मूर्ति के दर्शन करना, और भगवान् के दर्शन मिलना, दोनों अलग अलग बातें हैं, भगवान् के दर्शन मिलना बड़ी दुर्लभ बात है, लेकिन मिलते हैं, असंभव नहीं है, 

लेकिन सबसे बड़ी बात है, की इस भ्रम का खत्म होना, की अमुख् मन्दिर के दर्शन करने से भगवान् मिल जायेंगे, सब बुरे कर्म कट जायेंगे, और इससे नुकसान क्या है, की लोग यही करते हैं, और जब उनकी समस्या हल नहीं होती है, तो दोष भगवान् को दिया जाता है, जबकि भगवान् का इससे कोई लेना देना ही नहीं है, दोष तो हमारी गलत व्याख्या का है, 

अब करें क्या, सामान्य जन मानस के लिए विशेष कर, पहले तो मन से भ्रांति निकाल दीजिये, की अमुख् देवता के, अमुख मन्दिर के दर्शन से भगवान् मिल जायेंगे, सब पाप कट जायेंगे, इससे एक कंफ्यूजन खत्म हो गया, 

अब दूसरी बात तो क्या मन्दिर जाए की नहीं, और जब भगवान् मिलेंगे नहीं, पाप कटेगे नहीं, तो फिर मन्दिर जाए ही क्यों, सही बात है, तो इसको भी समझ लिया जाए, 

भगवान् के मन्दिर जाने से क्या होगा, भगवान् की पूजा करने से क्या होगा, पूजा पाठ, ईश्वर भक्ति जरूरी क्यों है, करती क्या है, 

समझिये, जैसे पढाई करने से ही नौकरी नहीं मिल जाती, तो क्या पढाई न करें, ये भी कहना गलत होगा, की केवल स्कूल में एडमिशन ले लेने से नौकरी मिल जायेगी, लेकिन नौकरी पाने के लिए पढाई करनी ही पड़ेगी, क्यों कि अगर आप पढाई नहीं करेगें, तो आप अनपढ़ समाज में ही सम्मिलित रहेगें, इसलिए एडमिशन लेना जरूरी है, और फिर एक लंबे समय तक विधिवत पढाई करना जरूरी है, और जब आप पूर्ण रूप से विधिवत पढाई पूर्ण कर लेंगे, तो आपको नौकरी भी मिल सकती है, आप अच्छा व्यापार कर सकते हैं, जीवन को सफल कर सकते हैं, मतलब कहने का ये है, की ईश्वर के मन्दिर जाने से, पूजा पाठ करने से आप ईश्वर भक्ति की राह में अपना एडमिशन ले लेते हैं, और आगे कहाँ तक आप पहुुंचेगें, ये आपकी आगे की पढाई से निश्चित होगा, भगवान् भी मिल सकतें हैं, लेकिन केवल एक बार भगवान् की मूर्ति के दर्शन मात्र से आपको भगवान् नहीं मिलेंगे, 

उसके लिए ईश्वर की निरंतर भक्ति, करनी होगी, भक्ति से जब मन पूर्ण निर्मल हो जायेगा, मन ईश्वर को समर्पित हो जायेगा, तब ईश्वर भी मिल जायेंगे