निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)


 निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)


जिस तरह से चोर को मदद करने के जुर्म में साथी को भी सजा होती है ठीक उसी तरह काम्य कर्म और संचित कर्म में हमें अपनों के किए हुए कार्य का भी फल भोगना पड़ता है और इसीलिए कहा जाता है कि अच्छे लोगों का साथ करो ताकि अपने जीवन में सभी कुछ अच्छा ही अच्छा हो।