हमारी संस्कृति को साधू, सन्यासी बहुत अच्छी तरह से बढ़ा सकतें हैं, बहुत बड़े स्तर तक, बड़ी बड़ी बातें करना बहुत आसान है, उस पर कार्य करना थोड़ा ज्यादा मुश्किल, हमारे देश के बड़े बड़े विद्वान कथा कार, जो बड़ी बड़ी कथाएँ करते हैं, वो नियम बना लें, की वर्ष में 20 से 25 कथा पैसे से करेगें, और उससे दोगुनी कथा मुफ्त में करेगें, देखिये फिर कैसे संस्कृति का प्रचार होता है, और मुफ्त में होने वाली कथाओं में देश के धन पति लोगों को अपना बड़ा योगदान देना चाहिए, वहाँ की सारी व्यवस्था, जल पान, सुरक्षा की व्यवस्था में व्यय धन की व्यवस्था देश के धनपतियों को करनी चाहिए,
ये एक तरह से बड़े स्तर पर भंडारा भी होगा, जिससे एक बड़े स्तर पर गरीब जनता का मानसिक भला होगा, और धन पतियों को पुण्य की प्राप्ति भी होगी, इस कार्य में वैसे सहयोग तो कोई भी कर सकता है, लेकिन जिनके पास बड़ा पैसा है, उनके लिए ये कार्य आसान है, उम्मीद है इस पर सभी योग्य जन मानस ध्यान देंगे


