आत्महत्या महापाप, आत्महत्या करने के कारण और आत्महत्या रोकने के संभावित उपाय,
आत्महत्या समाज के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, इसकी बजह से बहुत बड़ी हानि होती है समाज को, परिवारों को,
व्यक्ति ये कदम उठाता क्यों हैं , पहली बात अगर देखा जाए, तो
आत्महत्या का प्रमुख कारण अपमान है, और प्रमुख क्या यही एक कारण ही है, और इसका उत्तर दाई समाज है, इसको रोका कैसे जाए, इसके लिए हमें कारण पर जाना होगा, कारण है सामाजिक अपमान न सहन कर पाना, और जो सह गया वो रह गया, और सहना ही होगा, कैसे, हमें खुद को बदलना होगा, अपनी प्राथमिकताओ को बदलना होगा, अपनी सोच को बदलना होगा, कैसे,
मान लिया आपने अपने बच्चे को खूब पढाया लिखाया, लेकिन वो पढाई कंप्लीट करके कोई नौकरी नहीं पा सका, या आपका बच्चा पढाई में अपने क्षेत्र में अच्छा था, लेकिन जब वो उच्च शिक्षा के लिए गया, वहाँ वो उतना अच्छा नहीं कर पाया, अब आत्महत्या की स्थिति कैसे उत्पन्न होती है, उसके लिए आप ही जिम्मेदार है, आपने समाज को इस कार्य के लिए खुद आमंत्रित कर दिया, खुद का अपमान करवाने के लिए, कैसे, आपके किसी रिश्तेदार ने, किसी मित्र नें, किसी पड़ोसी ने, या अन्य किसी ने पूछा, आपका बेटा, बेटी क्या कर रहा है, पढाई कैसी चल रही है, ठीक है, तो इसमें आपने जैसे ही कहा, की बहुत पढाया लिखाया, बेरोजगार है, या पढाई में अच्छा नहीं कर पाया, अब खतरे की घंटी स्टार्ट,कैसे, वो मित्र, आपके सामने आपके बेटे, बेटी को टार्चर करेगा, की उनका लड़का, लड़की ये कर रहे है, अरे उनके बेटे ने तो टॉप किया, इससे आप पर भी दवाब बनेगा, और उस आपके बेटे, बेटी पर भी, और एक समय ये आयेगा, की ये मित्र, रिश्तेदार, साथी उसको सुना सुना कर इतना मजबूर कर देंगे, की वो मजबूर होकर, जब ताने बर्दास्त से वाहर हो जायेंगे, तो आत्महत्या कर लेगा, आपको करना क्या है, की जो भी साथी, मित्र, रिश्तेदार आपका, आपके परिवार का अपमान करने की कोशिश करे, उसको वाहर का रास्ता दिखा दीजिये, हमेशा के लिए, आप बच जायेंगे आपका परिवार बच जायेगा, आप पर कितनी भी बड़ी मुसीबत हो, लेकिन आत्महत्या बिल्कुल मत करिये, कर्ज बहुत हो गया, कोई बात नहीं, अगर आपके मन में ये भाव आये, की अगर समाज को पता चल गया, तो बड़ी बदनामी होगी, तो सीधा सा एक कार्य करिये, अपने सभी रिस्तेदारो से, मित्रो से, आस पास के लोगों से, जहाँ पर आपको लगता है, अपमान हो जायेगा, सब से कर्ज चुकाने के लिए, धन मांग लीजिये, देखो कितने देते हैं, आपको सब पता चल जायेगा, अरे भाई, जो व्यक्ति आपकी मुसीबत दूर नहीं कर सकता, उसके सामने आपको अपमानित होने का डर लगता है, सोच बदलिये, कोई कितना भी अपमान करे, आप अपने विचार से चलिए, आपकी प्रथम प्राथमिकता में, जो संयासी हैं, भगवान् होना चाहिए, उसके बाद और कोई, और जो पारिवारिक हैं, उनकी प्राथमिकता में परिवार और भगवान् होना चाहिए, उसके बाद और कोई, अगर आपके परिवार को कोई तनाव में डालने की कोशिश करें, उससे तुरंत दूरी बना लीजिये, फोन पर तनाव देने की कोशिश करें, नंबर ब्लॉक कर दीजिये, फिर भी न माने, तो उससे लाख, दस लाख, पचास लाख रुपए मांग लीजिये, जब भी वो आपकी बुराई , आपके परिवार की बुराई करने की कोशिश करे, उससे पैसे की डिमांड कर दीजिये, खुद परेशान होकर आपसे दूर हो जायेगा, थोड़ा ईश्वर वादी वनिये, जब भी बुरे विचार मन में आये, किसी भी भगवान् का नाम जपना शुरू कर दीजिये, और तब तक जपते रहिए, जब तक बुरे विचार खत्म न हो जाए, फिर बुरे विचार हावी हो, फिर भगवान् का नाम जपने लगिये, जब भी आत्महत्या का मन करे, ईश्वर का नाम जपने लगिये, जपते रहिए, और सोचिये, मुझे ये कदम किसकी बजह से उठाना पड़ रहा है, उत्तर में अपमान ही आयेगा, और जीवन का लक्ष्य बना लीजिये, की अपमान पर तो लोड लेना ही नहीं है, किसी के संतान नहीं, किसी को देर से हो रही, किसी के घर में थोड़ा झगडा हो गया, समाज के बुरे लोगों को ज्यादा अपनी लाइफ में सम्मिलित करेगे, तो वो तो आपको जीना मुश्किल कर देंगे, इन बुरे लोगों नें ईश्वर को नहीं छोड़ा, तो आप क्या हैं, इसलिए सच्चाई की राह पर चलिए, ईमान दारी से कार्य करिये, ये मान कर की कर्म करना आपके हाथ में है, आपके कर्मो का फल ईश्वर के हाथ में है, और जो आपका सहयोगी हो, उसकी चार बातें सुन भी लीजिये, लेकिन जो आपका बिना सहयोग करे आपको, आपके परिवार को नुकसान पहुँचाने की बात करता हो, उससे रिश्ता खत्म करना ही ठीक, अच्छी बात हर किसी से ग्रहण कर सकते हैं, लेकिन बुरा चाहने वालों को अगर आपने ज्यादा महत्व दिया, तो वो आपको नुकसान ही पहुॅचायेगे, इसलिए आप सब से निवेदन है,
कि आत्महत्या का कदम तो बिल्कुल न उठाये
