संसार में गालियों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है


 संसार में गालियों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है, गालियां देने पर हम गर्व का अनुभव करते होगें, लेकिन ये गलत है, जो गालियां आप किसी अन्य को देते हैं, वही जब वापस आपको मिलती है, तो बड़ा बुरा लगता है, हम सब आज से ही प्रण लें, की गालियां नहीं देगें, अगर बहुत ज्यादा गालियां देते हैं, हर समय गालियों से ही बात करने की आदत पड़ गई है, तो फिर प्रयास करिए की दिन प्रतिदिन उसकी मात्रा कम करिए, जिन कार्य के लिए गालियों का प्रयोग करते हैं, अब से उसकी जगह थोड़ी सभ्य भाषा का इस्तेमाल करके देखिए, समाज में बात बात पर गालियों का प्रचलन बंद हो जाए, तो भी ये समाज के लिए बहुत बड़ा तोहफा होगा