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भ्रष्टाचार किसी भी रूप में किया जा सकता है, चाहे अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन, अनैतिक रूप से किया हुआ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण, ये सभी भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करते हैं । एक बुरे आचरण से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है जो कि व्यक्ति को निरन्तर इस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई' परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं है. किसी को दुख पहुंचाने से बढ़कर कोई अधर्म नहीं है. दूसरों का हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है. दूसरों को पीड़ा देने वाले मनुष्य से बढ़कर कोई अधम (नीच) नहीं है.