यदि हृदय में प्रेम नहीं हो तो भक्ति भी गेम हो जाती है। यदि हृदय में भाव नहीं हो तो कुछ प्रभाव नहीं होता है।
यदि हृदय में प्रेम नहीं हो तो भक्ति भी गेम हो जाती है। यदि हृदय में भाव नहीं हो तो कुछ प्रभाव नहीं होता है।
जीवन एक अवसर है स्वयं को जानने का, अपनी अंतर्निहित शक्ति और प्रतिभा को जानने और विकसित करने का । जीवन के असंख्य आयाम इन सभी आयामों में महत्तम विकसित होना और श्रेष्ठ और कल्याणकारी अस्तित्व और व्यक्तित्व का निर्माण करना ही जीवन का परम उद्देश्य है।