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जन जन के राम

ऐसे बर्बाद करती है बहुआ"

जीवन का परम लक्ष्य

प्रेम इतना कम क्यों है दुनिया मे

जीवन में हम कहां पर हैं

जीवन में निराशा को स्थान नहीं देना चाहिए

उमा कहहु मै अनुभव अपना...सत हरि भजन जगत सब सपना...