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भक्ति की चरम सीमा और निर्भयता कैसे पता किया जाए, की भक्ति सच में प्रगाढ़ हो रही है, या ढोंग हो रहा है, इसका सबसे बड़ा सबूत है निर्भयता, जैसे जैसे भक्ति बढ़ती जायेगी, वैसे वैसे भक्त में निर्भयता बढ़ती जायेगी

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा. जो जस करहि सो तस फल चाखा. होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा, दोनों में भेद भी है, समानता भी है, समझें

पुरातन समय में शादी विवाह गैर घर से करना अशुभ माना जाता था, और ये गरीबी का प्रतीक भी माना जाता था,

नाम जप करो, और भगवान् को परखो

ईश्वर अपने फक्कड़ भक्त के पास बैठा मस्ती करता मिलेगा

''मैं '' का माया जाल

समय के साथ रहेगा कोई नहीं, काल खा सबको जायेगा, लेकिन आपके कर्म आपका सही गलत भविष्य जरूर तय करेगें,

अपने प्रति और दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें।

ईश्वर की भक्ति करने से लाभ

एक बात का जवाब दोगे

जीवन का भरोसा नहीं हैं

संसार में गालियों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है

राधा नाम जपने के लाभ