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शासन के देश, समाज, जनता के लिए कर्तव्य

महिलाओं के देश, समाज, और परिवार के लिए कर्तव्य

भ्रष्टाचार किसी भी रूप में किया जा सकता है, चाहे अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन, अनैतिक रूप से किया हुआ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण, ये सभी भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करते हैं । एक बुरे आचरण से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है जो कि व्यक्ति को निरन्तर इस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई' परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं है. किसी को दुख पहुंचाने से बढ़कर कोई अधर्म नहीं है. दूसरों का हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है. दूसरों को पीड़ा देने वाले मनुष्य से बढ़कर कोई अधम (नीच) नहीं है.

नानक देव कहते हैं, एक ही साधना है--उसकी मर्जी

भक्ति की चरम सीमा और निर्भयता कैसे पता किया जाए, की भक्ति सच में प्रगाढ़ हो रही है, या ढोंग हो रहा है, इसका सबसे बड़ा सबूत है निर्भयता, जैसे जैसे भक्ति बढ़ती जायेगी, वैसे वैसे भक्त में निर्भयता बढ़ती जायेगी

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा. जो जस करहि सो तस फल चाखा. होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा, दोनों में भेद भी है, समानता भी है, समझें

पुरातन समय में शादी विवाह गैर घर से करना अशुभ माना जाता था, और ये गरीबी का प्रतीक भी माना जाता था,

नाम जप करो, और भगवान् को परखो

ईश्वर अपने फक्कड़ भक्त के पास बैठा मस्ती करता मिलेगा

''मैं '' का माया जाल

समय के साथ रहेगा कोई नहीं, काल खा सबको जायेगा, लेकिन आपके कर्म आपका सही गलत भविष्य जरूर तय करेगें,

अपने प्रति और दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलें।