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भ्रष्टाचार किसी भी रूप में किया जा सकता है, चाहे अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन, अनैतिक रूप से किया हुआ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण, ये सभी भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करते हैं । एक बुरे आचरण से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है जो कि व्यक्ति को निरन्तर इस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है
भ्रष्टाचार किसी भी रूप में किया जा सकता है, चाहे अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन, अनैतिक रूप से किया हुआ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण, ये सभी भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करते हैं । एक बुरे आचरण से भ्रष्टाचार की शुरूआत होती है जो कि व्यक्ति को निरन्तर इस ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है
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कर्म प्रधान विश्व रचि राखा. जो जस करहि सो तस फल चाखा. होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा, दोनों में भेद भी है, समानता भी है, समझें
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा. जो जस करहि सो तस फल चाखा. होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा, दोनों में भेद भी है, समानता भी है, समझें
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